मुजफ्फरपुर। सरकारी अस्पतालों को दवा आपूर्ति करने वाली संस्था बिहार चिकित्सा सेवा एवं इंफ्रास्ट्रक्चर निगम लिमिटेड (बीएमएसआईसीएल) ने पिछले दो वर्षो से एईएस की दवाओं की किट नहीं भेजी है।

 

इसे मैनेजमेंट किट कहा जाता है, जिसमें टैबलेट, इंजेक्शन, स्लाइन की बोतल, कैथेटर, एनिमा जैसी 62 तरह की दवाइयां रहती हैं। मुजफ्फरपुर में वर्ष 2020 के बाद बीएमएसआईसीएल ने किट नहीं भेजी है।

जिला सेंटर स्टोर में अभी सिर्फ छह ही मैनेजमेंट किट बची है। गर्मी की धमक के साथ एईएस के केस मिलने लगते हैं, लेकिन अबतक दवाओं की आपूर्ति नहीं की गई है। बीएमएसआईसीएल से भेजी गई किट को सभी पीएचसी में भेजी जाती है।

इसी किट से एईएस पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता है। बीएमएसआईसीएल के डीजीएम ड्रग नवनीत कुमार ने बताया कि दवाओं के भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही सभी जिलों में पहुंच जाएगी।

पहले दवा क्यों नहीं भेजी गई, इसके बारे में नहीं बता सकते, क्योंकि अभी यहां नये आए हैं। बीएमएसआईसीएल से दवा नहीं आने पर पीएचसी से लेकर एसकेएमसीएच तक दवाओं की स्थानीय स्तर पर खरीद कर रहे हैं।

पारू पीएचसी के प्रभारी डॉ. यूसी शर्मा ने बताया कि ज्यादातर पानी की बोतल और पेशाब कराने वाली दवा शॉट एक्सपायरी होती है। इसलिए इसे खरीदते रहते हैं। हाल में ही स्लाइन की बोतल खरीदी है।

कुछ दवाएं जो एक्सपायर हो गई हैं, उसे फिर से खरीदा जायेगा। एसकेएमसीएच में भी एईएस की दवा स्थानीय स्तर पर ही खरीदी गई हैं। बीएमएसआइसीएल से दवा नहीं आने पर दवा खरीद कर स्टोर में रखी गई है।

एईएस की धमक अप्रैल से शुरू हो जाएगी। बीमारी के शुरू होने से पहले दवा सभी जगह उपलब्ध हो जानी चाहिए। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि यदि अचानक इस बीमारी का जोर हो जाए तो दवा के लिए परेशानी हो जाएगी।

बीएमएसआईसीएल अगर पिछले वर्ष भी मैनेजमेंट किट भेजी रहती तो स्टोर से लेकर पीएचसी तक दवाइयां पर्याप्त रहतीं। एईएस के लिए अभी गैप असेसमेंट का काम चल रहा है। इसमें कई दवाइयां एक्सपायर पायी गयी हैं।