हाई कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में आरक्षण लागू न किए जाने को लेकर मध्य प्रदेश शासन सहित अन्य को पूर्व में जारी नोटिस का जवाब पेश करने के लिए तीन सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेकर याचिकाकर्ता को इस आशय की सूची भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अब तक कितने शासकीय अधिवक्ता जज नियुक्त किए गए हैं। एडवोकेट रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि पूर्व में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में इसी सिलसिले में जनहित याचिका दायर हुई थी। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मध्य प्रदेश की यह जनहित याचिका राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत उस जवाब को अभिलेख में लेने के बाद निरस्त कर दी गई थी कि शासकीय अधिवक्ता का पद संविदा आधारित होता है, अत: आरक्षण लागू करने का प्रावधान नहीं हो सकता। इससे पूर्व जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने दलील दी थी कि नियमानुसार शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति में अधिनियम 1994 के प्रविधान लागू किए जाने चाहिए।
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मध्य प्रदेश ने हाई कोर्ट के आदेश व राज्य शासन के जवाब को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी। 10 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित व न्यायमूर्ति एसआर भट्ट की युगल पीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी किए थे।
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